Utility News कोविड से ठीक हो चुके मरीजों को टर्म पॉलिसी लेने में क्यों हो रही है दिक्कत ? जानिए

Utility News कोविड से ठीक हो चुके मरीजों को टर्म पॉलिसी लेने में क्यों हो रही है दिक्कत ? जानिए

बीमा कंपनियों ने कोविद की तीसरी लहर के आने के साथ ही फिर से अपना पुराना ऐटिटूड दिखाना शुरू कर दिया है. बीमा कंपनियां कोरोना मरीजों के लिए टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी देने से कतरा रही हैं, क्या कोई रास्ता है। कोरोना की तीसरी लहर के बीच हाल ही में गाजियाबाद के रहने वाले विजय कुमार ओमाइक्रोन वेरियंट से संक्रमित हो गए। इस एक हफ्ते में वह अपने परिवार के भविष्य को लेकर काफी चिंतित नजर आया। ठीक होते ही उन्होंने एक बीमा एजेंट को बुलाकर एक करोड़ रुपए की टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी लेने की इच्छा जताई।

कोविद की तीसरी लहर आने के साथ ही बीमा कंपनियों ने फिर अपना पुराना तेवर दिखाना शुरू कर दिया है. बीमा कंपनियां खासकर कोरोना मरीजों के लिए टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी देने में कई तरह के काम कर रही हैं. नए पॉलिसी लेने वालों के लिए कई नई शर्तें लगाई जा रही हैं जैसे एक से तीन महीने की प्रतीक्षा अवधि, अतिरिक्त चिकित्सा परीक्षण आदि। एक निजी बीमा कंपनी ने ऐसे लोगों के लिए एक महीने से छह महीने की प्रतीक्षा अवधि बनाई है।

आपकी जानकारी के लिए बता दे की, यदि कोई व्यक्ति कोरोना से ठीक हो गया है, तो उसे तत्काल टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी नहीं दी जा रही है। उसे एक से छह महीने तक इंतजार करना पड़ सकता है। यदि ऐसे मरीजों में संक्रमण का स्तर ज्यादा होता है और भर्ती करने की जरूरत पड़ती है तो छाती के एक्स-रे जैसे कई अतिरिक्त मेडिकल टेस्ट कराने की मांग उठती है. पिछले साल जब कोरोना की दूसरी लहर के दौरान लाखों लोग कोरोना से पीड़ित थे, तब पहली बार ऐसा देखा गया था कि बीमा कंपनियां ऐसे मरीजों को टर्म पॉलिसी देने से कतराती हैं.

टर्म पॉलिसी खरीदना मुश्किल होता जा रहा है, उनके प्रीमियम और कवरेज पर भी असर पड़ा है। कोविड से पहले 40 साल के आसपास के लोग, जिन्हें 25 लाख का बीमा कवर आसानी से मिल गया, उन्हें कोविड से संक्रमित होने के बाद 10 लाख से ज्यादा मिलना मुश्किल हो रहा है. बीमा कंपनियों ने हाल ही में टर्म प्लान के प्रीमियम में 10 से 30 फीसदी की बढ़ोतरी की है। कंपनियों की इस मनमानी के खिलाफ रेगुलेटर भी कोई बड़ा कदम नहीं उठा सकता, क्योंकि कंपनियों को अपनी कारोबारी संभावनाओं के हिसाब से शर्तें तय करने का अधिकार है. बीमा नियामक IRDA या कोई लोकपाल भी तभी कुछ कर सकता है जब आप किसी बीमा कंपनी के ग्राहक बन जाते हैं।

सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर मणिकरण सिंघल कहते हैं, कोरोना मरीज के मामले में उसके स्वास्थ्य के बारे में कुछ भी अंदाजा लगाना मुश्किल है. कंपनियां वेटिंग पीरियड रख रही हैं, यानी जो लोग कोरोना से ठीक हो चुके हैं, उन्हें नया टर्म प्लान लेने के लिए इंतजार करना होगा। जब आप पॉलिसीधारक बनेंगे तभी ओम्बड्समैन आपकी मदद कर पाएगा। यह अन्य स्वस्थ लोगों के लिए भी एक सबक है कि उन्हें बिना किसी देरी के तत्काल टर्म इंश्योरेंस या स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी लेनी चाहिए।

इंश्योरेंस सॉल्यूशंस के सह-संस्थापक और सीईओ दीपक उनियाल का कहना है कि लोगों को कंपनी को मेल करने और इसकी लिखित जानकारी मांगने का अधिकार है कि किस आधार पर उन्हें पॉलिसी से वंचित किया जा रहा है। बीमा नियामक इरडा ने इस मामले में कंपनियों को पूरा अधिकार दिया है। आर्थिक और स्वास्थ्य की स्थिति के आधार पर किसी को भी पॉलिसी देने से मना कर सकते हैं।

यदि आप हाल ही में कोविड से उबरे हैं तो सुनिश्चित करें कि आपको तुरंत कोई टर्म पॉलिसी नहीं मिलेगी। इसलिए जो लोग स्वस्थ हैं और अभी तक टर्म पॉलिसी नहीं ली है, उन्हें बिना देर किए तुरंत अपने लिए टर्म पॉलिसी लेनी चाहिए। आपको अपनी वार्षिक आय के कम से कम 10 गुना के बराबर कवर वाली टर्म पॉलिसी लेनी चाहिए।

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