Utility: बिना हॉलमार्क वाले सोने के आभूषणों की बिक्री पर रोक! घर के जेवर भी नहीं बेच पांएगे? जानें यहाँ

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देशभर में 1 अप्रैल से सोना बेचने के नियम बदल गए हैं। इसके अनुसार कोई भी जौहरी बिना हॉलमार्किंग के आभूषण बाजार में नहीं बेच पाएगा। ज्वेलर्स के लिए सोने के गहनों पर हॉलमार्किंग करना पहले से ही अनिवार्य कर दिया गया था। लेकिन अभी तक व्यापारी पुराने स्टॉक के नाम पर बिना हॉलमार्किंग वाले आभूषणों की बिक्री कर रहे थे।

ऐसे में आपके मन में सवाल उठता है कि क्या आपके घर में मौजूद ज्वेलरी को बिना हॉलमार्क के बेचना संभव नहीं है? आज हम इसी सवाल का जवाब जानने वाले हैं। तो आइए जानते हैं बिना हॉलमार्क वाली ज्वैलरी को कैसे बेचा जा सकता है।

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हॉलमार्क क्या है? हॉलमार्क सोने की शुद्धता का पैमाना है। यह गारंटी देता है कि आप जो गहने खरीद रहे हैं वे असली हैं। यह बीआईएस यानी भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा प्रमाणित है। इसके तहत सोने, चांदी और उनसे बने गहनों पर कुछ खास निशान लगाए जाते हैं, ताकि उनकी शुद्धता की जांच की जा सके। हॉलमार्किंग के तहत लैब टेस्टिंग के बाद इन निशानों को सोने या चांदी पर लगाया जाता है। इसमें कैरेट और शुद्धता के हिसाब से हॉलमार्किंग सेंटर मार्क होता है। जैसे  22 कैरेट सोना 91.6 फीसदी शुद्धता के साथ और 18 कैरेट सोना 75 फीसदी शुद्धता के साथ आदि।

ग्राहकों को क्या होगा फायदा? : हॉलमार्क से ग्राहक अब सोने या चांदी की गुणवत्ता की खुद जांच कर सकते हैं। यानी हॉलमार्किंग देखकर ग्राहक को पता चल जाएगा कि सोना या चांदी कितना असली है और कितना मिलावटी है।

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बिना हॉलमार्क वाले गहनों का क्या होता है? : बिना हॉलमार्क वाली पुरानी ज्वैलरी बेचने में आपको कोई परेशानी नहीं होगी। इस ज्वैलरी की कीमत आपको उस दिन के सोने के रेट के हिसाब से मिलेगी, जिस दिन आप इसे बेचना चाहेंगे। यानी ग्राहक बिना हॉलमार्किंग के ज्वैलरी को बेच सकता है।

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