Rudraksha: रुद्राक्ष पहनने से पहले जान लें ये नियम, नहीं तो हो सकता है नुकसान!

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सनातन धर्म के ज्योतिष शास्त्र में रुद्राक्ष का बहुत महत्व है। शास्त्रों में रुद्राक्ष को साक्षात् भगवान शिव का स्वरूप माना गया है, ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार रुद्राक्ष 1 मुखी से लेकर 14 मुखी तक होता है। कोई भी रुद्राक्ष धारण करने से जातक को धन की प्राप्ति होती है और घर में सुख-समृद्धि आती है।

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लेकिन रुद्राक्ष को विधि-विधान से धारण करना चाहिए अन्यथा इसके बुरे प्रभाव देखने को मिल सकते हैं। इसके लिए रुद्राक्ष धारण करते समय नियमों का विशेष ध्यान रखना होगा। वहीं रुद्राक्ष इलियोक्यूपर्स के फलों के बीच से प्राप्त होता है, इन बीजों पर कई धारियां होती हैं। रुद्राक्ष कितना नुकीला होता है इसका पता धारियो से चलता है।

ख़ुशी आती है
उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जिले के वरिष्ठ आचार्य पंडित अरुणेश मिश्रा ने लोकल 18 से खास बातचीत करते हुए कहा कि शास्त्रों में रुद्राक्ष को भगवान शिव के समकक्ष का दर्जा दिया गया है, इसलिए रुद्राक्ष का महत्व बढ़ जाता है. मुख्यतः रुद्राक्ष एक मुखी से लेकर चौदह मुखी तक होता है, इसे विधि-विधान से धारण करने और इसके नियमों का पालन करने से सुख-समृद्धि आती है।

रुद्राक्ष धारण करते समय इन बातों का रखें ध्यान

रुद्राक्ष धारण करते समय उसे गंगा जल से धोकर लाल या पीले धागे में बांध लें। ॐ नमः शिवाय मंत्र का 108 या 1008 बार जाप करने के बाद इसे ग्रहण करें।

रुद्राक्ष को कभी भी गंदे हाथों से नहीं छूना चाहिए, रुद्राक्ष एक पूजनीय और पवित्र वस्तु है, इसे हमेशा साफ हाथों से ही छूएं।

रुद्राक्ष को कभी भी एक दूसरे से बदल कर नहीं पहनना चाहिए। ऐसा करने से भगवान शिव क्रोधित हो जाते हैं।

रुद्राक्ष की माला में रुद्राक्षों की संख्या सदैव विषम होनी चाहिए।

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शास्त्रों में कहा गया है कि रुद्राक्ष को भगवान शिव की तीसरी आंख माना जाता है।

रुद्राक्ष पहनने से मन शांत होता है और सभी रुके हुए काम पूरे हो जाते हैं।

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