Navratri 2023: साल के 4 नवरात्रों में से क्यों खास हैं चैत्री और शारदीय नवरात्र, जानें महत्व और अंतर

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Navratri 2023: इस साल 15 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि शुरू हो रही है. भक्त नौ दिनों तक माता के नौ रूपों की पूजा करते हैं। देशभर में नवरात्रि की धूम है. इस दौरान कई जगहों पर गरबा और रामलीला का भी आयोजन किया जाता है। साल में 4 बार नवरात्रि आती हैं, लेकिन चैत्री और शारदीय नवरात्रि विशेष होती हैं। ये दो नवरात्रि बहुत धूमधाम से मनाई जाती हैं, एक चैत्र नवरात्रि और दूसरी शारदीय नवरात्रि। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष में चैत्र नवरात्रि मनाई जाती है। वहीं, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होती है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि इसे साल में दो बार क्यों मनाया जाता है? इसके पीछे क्या कारण है आइए विस्तार से जानते हैं

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दोनों नवरात्रियों का क्यों है विशेष महत्व?
दोनों ही नवरात्रि ऋतु परिवर्तन काल में आती हैं। यही वह समय है जब हम बीमार पड़ते हैं। इसलिए, हमारे ऋषि-मुनियों ने धार्मिक अनुष्ठानों के साथ-साथ 9 दिनों के उपवास का भी विधान किया है। कहा जाता है कि नौ दिनों तक फल खाकर व्रत रखने से शरीर से रोग और विकार दूर हो जाते हैं। इतना ही नहीं, शरीर अगले 6 महीनों तक बीमारियों से लड़ने के लिए भी तैयार हो जाता है। इसके अलावा धार्मिक अनुष्ठानों से आध्यात्मिक शुद्धि भी होती है।

चैत्री और शारदीय नवरात्रि में क्या अंतर है?
  शारदीय नवरात्रि को शक्ति की उपासना का प्रतीक माना जाता है, जबकि चैत्र नवरात्रि सिद्धि प्राप्ति के लिए प्रसिद्ध है।

शारदीय नवरात्रि महिषासुर के वध और राम द्वारा रावण के वध से जुड़ी है। वहीं चैत्र नवरात्रि में देवी की पूजा की जाती है.

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शारदीय नवरात्रि के दसवें दिन रावण को जलाकर दशहरा मनाया जाता है। चैत्र नवरात्रि की नवमी को रामजी के जन्मदिन के रूप में रामनवमी मनाई जाती है।

शारदीय नवरात्रि ग्रीष्म और वर्षा ऋतु के बाद शीत ऋतु की शुरुआत का प्रतीक है। इसलिए चैत्र नवरात्रि सर्दी के बाद गर्मी लेकर आती है।

चैत्र नवरात्रि साधना और उपासना के लिए है इस नवरात्रि में अनुष्ठान और जप तप किया जाता है, शारदीय नवरात्रि में नौ दिनों तक जप तप के साथ मणि गरबा और रास की पूजा की जाती है।

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