Loan Update: सस्ते लोन के लिए अभी करना होगा इंतजार, महंगे लोन की किस्तों से नहीं मिलेगी राहत!

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India Inflation: जब मई 2023 महीने के लिए खुदरा महंगाई के आंकड़े जारी हुए और यह आंकड़ा घटकर 4.25 फीसदी पर आ गया तो सभी को उम्मीद थी कि महंगी ईएमआई से जल्द राहत मिल सकती है. लेकिन पिछले कुछ दिनों में टमाटर से लेकर अरहर दाल की कीमतों में तेज उछाल के बाद महंगे कर्ज से राहत मिलने की उम्मीद टूट गई है.

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आरबीआई एमपीसी की बैठक अगस्त में
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक 8-10 अगस्त को होगी. वहीं 10 अगस्त को आरबीआई गवर्नर कमेटी की बैठक के नतीजे घोषित करेगा. साग-सब्जियों और दालों की कीमतों में उछाल देखने को मिला है, अब अगस्त में महंगे कर्ज से राहत मिलने की उम्मीद कम है. इसके बजाय आरबीआई रेपो रेट को 6.50 फीसदी पर बरकरार रख सकता है.

टमाटर की कीमतों में 227 फीसदी का उछाल
जून के बाद से खाद्य पदार्थों में फिर से बढ़ोतरी होने लगती है। खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के मूल्य निगरानी विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो अरहर दाल की औसत कीमत 1 जून 2023 को 122.08 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़कर 4 जुलाई को 131.1 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई. महज एक महीने में कीमत में 7.40 फीसदी का उछाल आया है. टमाटर की औसत कीमत जो 4 जुलाई को 25.44 रुपये प्रति किलो थी, वह बढ़कर 83.29 रुपये प्रति किलो हो गई है. यानी एक महीने में टमाटर की कीमत में औसतन 227 फीसदी का उछाल आया है. हालांकि, खुदरा बाजार में अरहर दाल 200 रुपये और टमाटर 140 रुपये प्रति किलो उपलब्ध है.

चावल-चीनी, प्याज और दूध के दाम भी बढ़ गए हैं
कीमतों में बढ़ोतरी अरहर दाल और टमाटर तक ही सीमित नहीं है. 1 जून को चावल की औसत कीमत 39.28 रुपये प्रति किलो थी, जो 4 जुलाई को बढ़कर 40.26 रुपये प्रति किलो हो गई. यानी कीमत में 2.50 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. चीनी 42.53 रुपये प्रति किलो मिलती थी, अब 43.04 रुपये प्रति किलो मिल रही है. 1 जून को प्याज की औसत कीमत 22.31 रुपये प्रति किलो थी, जो 4 जुलाई को बढ़कर 25.33 रुपये प्रति किलो हो गई है. इतना ही नहीं इस दौरान आटा, उड़द दाल और दूध के दाम भी बढ़े हैं. ऐसे में साफ है कि जब जून के खुदरा महंगाई के आंकड़े आएंगे तो खाद्य महंगाई दर फिर से बढ़ेगी जो मई में गिरकर 2.91 फीसदी पर आ गई थी.

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महंगाई के खिलाफ लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है
जून में जारी मौद्रिक नीति बैठक के ब्योरे के अनुसार, आरबीआई गवर्नर ने कहा कि मुद्रास्फीति को सहनशीलता सीमा के भीतर लाया गया है, लेकिन मुद्रास्फीति के खिलाफ लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। उन्होंने उस समय यह भी कहा था कि ब्याज दर चक्रों पर भविष्य के निर्णयों पर कोई मार्गदर्शन देना संभव नहीं है। और अब जब खाद्य पदार्थों की कीमतें फिर से बढ़ रही हैं तो सस्ते कर्ज की उम्मीद करना बेकार है।

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