Gadho ka Mela: 10 लाख में शाहरुख़ तो 7 लाख में सलमान बिका, गधो के मेले में खच्चरों की बोली

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देश भर से गधे आए और खूब बिके, शाहरुख़ और सलमान की भी रही खूब मांग। जी हां दोस्तों ये खबर है आज देश के कई अखबारों में। मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती इलाके में चित्रकूट में नया गाँव नाम की एक जगह है जहा गधो को खरीदने और बेचने के लिए मेला लगता आ रहा है। ये मुग़ल काल से उस गाओं में मेला लगता आ रहा है। इस बार जो वह गधे पहुंचे उनके नाम शाहरुख़, सलमान, आमीर, अमिताभ और दीपिका थे। ये गधे वाला पर लाखों रूपए में बिके है। शाहरुख़ नाम का गधा वह पर 10 लाख रूपए में बिका, तो वही सलमान नाम का गधा 7 लाख में बिका।

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इसके अलावा ऋतिक, रणवीर, अक्षय और सैफ, इन सबके नाम वाले गधो की भी लाखों में बोलिया लगी। इसमें बताया जाता है कि छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखण्ड के अलावा नेपाल और महाराष्ट्र से भी गधे बिकने के लिए आए थे। इस मेले में करीब 5 करोड़ रुपयों तक का गधो का कारोबार हुआ है। आप सोचिये कि ये मशहूर नाम जहा भी लग जाए तो वह करोड़ो में ज़िक्र होने ही लगता है। इस मेले में गधो को ख़रीदा और बेचा जा रहा है और यहाँ भी नाम कुछ वही सुनाई पढ़ रहे है।

हलाकि ये चलन कोई नया नहीं है, आप अगर किसी मेले में जायेंगे, आप वहा पर कोई उठ, हाथी या घोड़े की सवारी करे तो वह पर भी आपको एक्टर्स से मिलते जुलते नाम सुनाई देंगे। लेकिन गधो के बहार में इन नामो का बोल-बाला होना और लाखों रुपयों में इस नाम के गधो का बिकना अपने आप में एक अलग ही तरह की खबर बताता है। खैर बॉलीवुड कुछ ऐसा है कि हमारे जीवन से अलग नहीं हो पता। किसी न किसी तरह हम इसे अपने आस-पास देख पातें है।

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अब देखिये कौन सोच सकता है कि गधे के मेले में गधे खरीदने जा रहे है लोग और वह पर भी कुछ ऐसे नाम दिखने शुरू हो जायेंगे, जिनको वो अक्सर दुनिया में सुना करते है। कई बार इस तरह की खबर का भी उल्लेख करना भी ज़रूरी होता है ताकि हम समझ सके कि हमारी सोच समझ किस तरह से काम करती है। ज़ाहिर है कि गधो के नाम बॉलीवुड स्टार्स के नाम पर इसीलिए रखे गए होंगे क्युकी कुछ लोगो को इस तरह के नाम रखे होना पसंद होगा।

उन्हें लगता होगा कि इस तरह के नाम रख के वो कोई बड़ा मुनाफा कमा सकते है। ये सिलसिला कई सालो से चला आ रहा है, जहा पे गधो की खरीद फरक होती है। ऐसा कहते है कि ओरंगजेब के पास एक बार गधे और घोड़ो की कमी हो गयी थी और उस समय उसने ये सिलसिला शुरू किया कि इस तरह से लोग एक सामान्य जगह पर सब लोग मिले, ताकि साल में एक बार गधे घोड़े ख़रीदे जा सके। ये जो मेला है वो नया गाओं में चित्रकूट इलाके के पास लगता है। ये गधे खच्चर का काम करते है, वजन ढोने का काम करते है उन्हें लाखों रुपयों में ख़रीदा जाता है।

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