Bhakti : देवी-देवताओं को क्यों चढ़ाए जाते हैं फूल? जानिए पुष्प पूजा की शास्त्र महिमा

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फूल का रंग आंखों ही नहीं मन को भी खुशियों से भर देता है। और इसकी सुगंध अचेतन मन को भी परम चेतना का अनुभव कराती है। शायद इसी गुण की वजह से फूल हमेशा से ही प्राणी के दिल के करीब रहा है। साथ ही, वे देवी-देवताओं को बहुत प्रिय रहे हैं। हम जब भी आस्था के साथ अपने देवताओं की पूजा करते हैं तो उन्हें फूल चढ़ाते हैं। तो आइए आज जानते हैं क्या है इस फूल की पूजा की शास्त्र महिमा।

शास्त्रों में पुष्प का महत्व इस प्रकार बताया गया है।
पुष्पायरदेव प्रसिदंती पुष्पै देवाश्य संस्था।
न तो रत्नैरन सुवर्णन और न ही विट्टेन चा भूरीना।
और प्रसादमयती को पुष्पार्जनार्दन के रूप में।

अर्थात् रत्न, सोना, द्रव्य, व्रत, तपस्या या अन्य किसी वस्तु से देवता उतने प्रसन्न नहीं होते, जितने वे केवल पुष्प चढ़ाने से करते हैं!

तो सनातन धर्म में फूल के महत्व का वर्णन करते हुए कहा गया है कि, अर्थात देवताओं के मस्तक को सदैव पुष्पों से अलंकृत करना चाहिए ! यही कारण है कि भक्त हमेशा आस्था के साथ देवी-देवताओं को फूल चढ़ाते हैं। एक मान्यता के अनुसार पूजा में फूलों के प्रयोग से भगवान प्रसन्न होते हैं।

कुलार्णव पद्धति के अनुसार फूल पापों का नाश करता है। यह सर्वोत्तम फल देता है। और इसलिए इसे पुष्पा के नाम से जाना जाता है! पुराणों के अनुसार प्राचीन काल से ही फूल देवी-देवताओं का प्राकृतिक श्रंगार रहा है। फूल व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता का संचार करता है। यह मानव आस्था और आत्मा का प्रतीक है। इतना ही नहीं, फूल के अलग-अलग रंग और सुगंध अलग-अलग कीमत देते हैं। और इसी तरह देवी-देवताओं को अलग-अलग फूल चढ़ाने से भी वह विभिन्न मनोकामनाओं की पूर्ति करता है।

ऐसा माना जाता है कि उन्होंने देवी-देवताओं को अपना पसंदीदा फूल चढ़ाकर भक्त के दुर्भाग्य को तेज किया। साथ ही मनचाहा फल भी प्राप्त होता है। यही कारण है कि और कुछ न होने पर भी भक्त आस्था के साथ देवताओं को फूल चढ़ाते हैं। लेकिन, इस फूल को चढ़ाते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए।

क्या ध्यान देना है?
1. देवी-देवताओं को चढ़ाए गए फूल ताजे होने चाहिए।
2. भूल से भी भगवान को बासी फूल नहीं चढ़ाना चाहिए।
3. पूजा में चढ़ाए गए फूलों को दोपहर 12 बजे के बाद नहीं तोड़ना चाहिए!

(नोट: यह लेख लोकप्रिय धारणा पर आधारित है। इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इसे सार्वजनिक जानकारी के लिए यहां प्रस्तुत किया गया है।)

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