Religious Tips: आख़िर इसे 'गणपति बप्पा मोरया' क्यों कहा जाता है? जानिए इसके पीछे की कहानी..

 

गणेश चतुर्थी: गणेश चतुर्थी के दिन घरों और पंडालों से एक ही गूंज सुनाई देती है, गणपति बप्पा मोरया... क्या आपने कभी इन तीन शब्दों का मतलब जानने की कोशिश की है। आखिर क्यों कहा जाता है गणपति को मोरया? अगर आप इन शब्दों का मतलब नहीं जानते तो तुरंत इस आर्टिकल को पढ़ना शुरू कर दें। आपके मन में उठने वाली जिज्ञासा अपने आप शांत हो जाएगी।

अवतार
गणेश पुराण के अनुसार प्राचीन काल में सिंधु नाम का एक अत्यंत शक्तिशाली राक्षस था। वह शक्तिशाली होने के साथ-साथ अत्यंत दुष्ट प्रवृत्ति का भी था। वह लोगों को कष्ट देकर ही खुश रहता था। उसके अत्याचारों से सभी तंग आ चुके थे। उसके अत्याचारी और आततायी स्वभाव से न केवल मनुष्य बल्कि देवी-देवता भी तंग आ गये थे। ऋषि-मुनियों के लिए यज्ञ आदि करना कठिन हो गया। हर कोई इससे बचने का रास्ता ढूंढ रहा था। देवताओं ने उसे बचाने के लिए भगवान गणेश का आह्वान किया।

देवताओं ने उनसे राक्षस सिंधु को मारने का अनुरोध किया और कहा कि इस संसार में कोई भी शांति से नहीं रह सकता है। भगवान गणेश का जन्म दूसरों के कष्ट दूर करने के लिए हुआ था। इसे नष्ट करने के लिए उन्होंने मोर को अपना वाहन चुना और छह भुजाओं वाला रूप धारण किया। गणपति ने भीषण युद्ध में उसे मार डाला और लोगों की रक्षा की। तभी से लोग "गणपति बप्पा मोरया" के नारे के साथ उनके इस अवतार की पूजा करते हैं, ताकि गणपति उनके परिवार और समाज में अत्याचारियों का नाश करें और उनके लिए भगवान की भक्ति में लीन होने का माहौल बनाएं।

यही कारण है कि जब भगवान गणेश की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है तो 'गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस जल्दी आना' के नारे लगाए जाते हैं। गणपति बप्पा से जुड़ा मोरया शब्द भगवान गणेश का मयूरेश्वर रूप माना जाता है।